तेरी मोहब्बत
तेरी मोहब्बत
आज कोई नज्म नहीं ना कोई गज़ल सुनाऊँगी।
तू एक बार आके बैठ तो जाना मैं तुझे सर आँखों पर बैठाऊंगी।
तन्हा तो हो गई हूँ मैं थोडी और तन्हा हो जाउँगी।
तू एक बार मुड़ के देख तो ले मैं उस नज़र पे ठहर जाऊँगी।
जानती हूँ मंजिलें कुछ अलग सी होगई हैं।
तू कह के देख तो जरा एक पल मैं तेरी हो जाउंगी।
दर्द तो काफ़ी है दिल में मेरे।
अपनी मोहब्बत खो कर तू ही बता में क्या पाऊँगी।
जानती हूं तू मोहब्बत नही करता मुझसे।
तू एक बार बांसुरी बजा तो सही मैं कृष्ण की राधा हो जाऊँगी।
अकेले बैठ वो समंदर किनारे
प्रेम रस में डूबी में विरहा रस की पंक्तिया सुनाऊँगी।
याद तो बहुत आती है तेरी जाना।
तू एक बार मुस्कुरा तो सही एक पल में मैं पूरी हो जाउंगी।
जानती हूं ये सब सच नही सपनो में ही सही मैं तेरी हो जाउंगी ।