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Archana Tiwary

Romance

4  

Archana Tiwary

Romance

हमसफर

हमसफर

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202

सागर हो प्यार का ये सोचा था कभी

पर खुश हूं आज एक बूंद में

इस बून्द में खारापन महसूस होता नहीं

सागर के खारेपन को कहाँ झेल पाती


प्यास हो जब जन्मों की तो

बून्द भी सागर सी हो जाती है

मैं तो सागर की गहराई छूना चाहती थी

 हमसफर बन तूने बून्द को ही सागर बना दिया


रोमांच कुछ ऐसा अद्भुत सा किया उन बूंदों ने

तपती काया को निर्मल बना दिया

गहराई तो उन बूंदों में भी होती है

बस उसे छूने का हुनर आना चाहिए


सागर मिले भी तो प्यास कहाँ मिटती

बून्द तो एक ही काफी है

जन्मों की प्यास के लिए।


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