रंग बदलती ये रात
रंग बदलती ये रात
रंग बदलती ये रात जाने कैसे कैसे ख्वाब दिखाती है ये रात,
कभी हंसाती तो कभी रुलाती है ये रात
हर पल रंग बदलती है ये रात जाने क्यों जाने क्यों।
रातो को जागने का सिलसिला ये खत्म क्यों नहीं होता,
दर्द दिलो का यह हमारा खत्म क्यों नहीं होता,
तेरी यादों में तड़पने का ये सिलसिला खत्म क्यों नहीं होता,
क्यों वक्त और हालात हम पर मेहरबान नहीं होते।
धोखो पर धोखे मिलने का सिलसिला खत्म नहीं होता,
क्यों अपनो के दिये ज़ख्मो को भरने का सिलसिला सुरु नहीं होता,
क्यों रातो में देखे खुशियो के ख्वाब सच नहीं होते,
क्यों रंग बदलती इस रात के ख्वाब हकीकत में नहीं बदलते।