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bhavi tiwari

Romance Tragedy Others

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bhavi tiwari

Romance Tragedy Others

करुण रुदन

करुण रुदन

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कर जाता जब मन करुण रुदन

रह ही जाता है सहमा मन

हृदय गति की पीर छिपाई सी

खुद को कितना बिखराई सी


अधरो तक अश्रु बहाई सी

नैनो से कुछ कह पाती गर

खुद से खुद को मिलवाती गर

कितनी अभिलाषा ने जन्म लिया


दे थपकी सबको निंद्रित किया

न हुआ सवेरा न आंख खुली

नींदों में ही जा खुद से मिली।


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