मेरी कलम जब चलती है व्यक्त करती है नारी की पीड़ा व्यक्त करती है दर्द ग़रीबों की मेरी कलम जब चलती है व्यक्त करती है नारी की पीड़ा व्यक्त करती है दर्द ग़रीबो...
दकियानूसी सोच, निहित स्वार्थ के जाल का, लोकतंत्र के मंदिर ने बंद किया आज अध्याय। दकियानूसी सोच, निहित स्वार्थ के जाल का, लोकतंत्र के मंदिर ने बंद किया ...
वृक्षारोपण वृक्षारोपण
उन झुर्रियों से तेरे हाथ पे, फिर से एक रास्ता बनाऊंगा, बना के रखना एक झूठी कहानी तुम, सुनने जिसे ... उन झुर्रियों से तेरे हाथ पे, फिर से एक रास्ता बनाऊंगा, बना के रखना एक झूठी कहा...
कर दो कर दो भव से पार, करता तुमसे करुण पुकार।। कर दो कर दो भव से पार, करता तुमसे करुण पुकार।।
पशु हैं करते यही पुकार हमारे अस्तित्व से ना करो खिलवाड़। पशु हैं करते यही पुकार हमारे अस्तित्व से ना करो खिलवाड़।