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Prerna Rastogi

Tragedy

4  

Prerna Rastogi

Tragedy

पशुओं की करुण पुकार

पशुओं की करुण पुकार

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पशु हैं करते यही पुकार

हमारे अस्तित्व से ना करो खिलवाड़

क्यों अनदेखा हमें किया है जाता

जीने का हक नहीं है मिलता

प्रकृति पर है अधिकार हमारा

जीने का यह एकमात्र सहारा

नहीं मांगते धन और दौलत

ना चांदी जायदाद व सोना

हम तो मांगे इस धरती पर

अपने लिए छोटा सा कोना

दूध दही के हम हैं दाता

जीवन सफल हमसे हो पाता

बोझा ढोते हैं हम सबका

भोजन मिले ना फिर भी ढंका

बूढ़े होने पर सब हमको

सड़कों पर है छोड़ के जाते

जिस घर का हम खाते निवाला

वही की वफादारी का प्रण है पाला

हित और स्वाद की खातिर ही तो

हमारी कुर्बानी दी है जाती

हम बेजुबान जानवरों पर तो

अत्याचारों की लड़ी लगाई जाती

हमको भी दुख दर्द है होता

दिल यह हमारा भी है रोता

हम भी हैं इस धरा के वासी 

मांगे बस थोड़ा सा प्यार

हे मानव तुम सहज भाव से

धरा पे दो जीने का अधिकार

हमारा संरक्षण जरूरी है धरा हम से ही पूरी है।



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