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Prerna Rastogi

Classics

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कृष्ण जन्मोत्सव

कृष्ण जन्मोत्सव

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भादो की जब अष्टमी आई

रात अंधेरी जग में छाई

नक्षत्र रोहिणी लगा था जब से

गूंजा कारागृह किलकारियों से

वसुदेव देवकी ने पाया पुत्र रत्न


प्रकृति हुई खुशियों में मग्न

जन्मा बालक रूप में जब

कंस को मारने वाला

झूम उठा संसार ये सारा 


देखो आया कान्हा प्यारा

जन्मो प्रांत तुरंत पिता ने

तुम्हें पहुंचाया गोकुल में

तुमरी रक्षा की खातिर ही


हर दिन रहते वो चिंतन मे

12:00 बजे लिया तुमने जन्म 

तीनो लोक हो गए प्रसन्न

यमुना जी ने उछल उछल कर

चरण तुम्हारे छुए


शेषनाग भी दर्शन करने

पास तुम्हारे आए

बिजली चमकी बरसा पानी

पर तुम करते रहे शैतानी


गोकुल में जब नंद यशोदा

के घर में तुम आए

खुशियों की लगी ऐसी फुहारे

सब झूमे और नाचे गाए

माखन मिश्री तुमने खाई


मोर मुकुट बंसी तुम्हें भाई

मैया के तुम नटखट लल्ला

कहते सब तुम्हें बंसी बजैया

गोपियों को तुम बहुत सताते

यमुना के तट पर हो विराजते


अपनी नटखट बातों मे तो

तुम रहते सबको उलझाए

मोहिनी मूरत सांवली सूरत

सबके मन मे तुम हो समाए


अष्टमी के दिन जन्म तुम्हारा

कहलाती है जन्माष्टमी

सच्चे मन से भक्ति करे जो

हर लेते तुम कष्ट सभी


हाथी घोड़ा पालकी

जय कन्हैया लाल की

सभी को कृष्ण जन्माष्टमी

की हार्दिक शुभकामनाएं।


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