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Prerna Rastogi

Classics

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शिव गौरी सुत

शिव गौरी सुत

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हे गणनायक सिद्धिविनायक

कष्ट को हरते है कृपानायक

जिसके सर पर हाथ तुम्हारा

खुशियों ने किया वहां बसेरा


शुरू कार्य हर तुमसे होता

मंगल फिर हर काम में होता

भोग मे मोदक तुम्हें है भाते

भजन आरती तुम्हें रिझाते


देवों के देव तुम हो सहाय

नाम तुम्हारा वक्रतुंडाय

मूषक तुम्हारा ही तो वाहन

लीला तो तुम करते हर दिन


एकदंत का रूप निराला

चेहरा तो है भोला भाला

रिद्धि सिद्धि संग ब्याह रचाया

सुख में यह संसार बनाया


गौरी पुत्र तुम अंतर्यामी

शिव के सुत तुम जग के स्वामी

संतोषी जी पुत्री तुम्हारी

लंबोदर की कृपा है न्यारी


गणेश उत्सव जब भी आता

भर भर खुशियां साथ में लाता

गणपति सबके घर में आए

सबकी झोली भर कर जाएं


गूंज उठा संसार यह सारा 

गणपति बप्पा मोरिया

मंगल मूर्ति मोरया

आस्था का दीपक विश्वास की बाती

इन्हीं से करूं मैं बप्पा की आरती।


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