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Prerna Rastogi

Abstract

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Prerna Rastogi

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खुशी निराली

खुशी निराली

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बच्चों की है खुशी निराली

बिन देखे रहते हम खाली

शोर मचाकर घर को भर दे

और खुशियों से घर को रंग दे

बड़े अनोखे इनके काम

करते नहीं है यह आराम

चौबीस घंटे करें मनमानी

और फिर करते हैं शैतानी

एक बार जो यह रूठे

लगता जैसे जग छूटे

इन्हें मनाना नहीं आसान

खूब मेहनत का है यह काम

बड़ी अनोखी इनकी बातें

मंत्र मुग्ध तो हम हो जाते

ये होते हैं मन के सच्चे

बच्चे लगते सबको अच्छे

इनसे ही तो रौनक घर में

जैसे फूल खिले बगियन में

बच्चों की खुशियां अनमोल

हमें खींचती अपनी ओर।


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