शिक्षक होने का गर्व
शिक्षक होने का गर्व
जन्म मेरा तो सफल हो गया
शिक्षक का पद मुझे मिल गया
ज्ञान का दीपक मुझसे जलता
और फिर जग को रोशन करता
शिक्षा की वर्षा मैं करता
जीवन सबका सफल बनता
कर्तव्यों का पाठ पढ़ाता
निर्बल को बलवान बनाता
नहीं मैं रुकता नहीं मैं थकता
राही को सही राह दिखाता
भेदभाव को जड़ से मिटाता
जाति धर्म का बंधन तोड़ता
भावी जीवन का करूं निर्माण
ईश्वर से बड़ा दिया सबने स्थान
आशाओं पर खरा उतरता
विचारों की दिशाएं बदलता
घमंड करा ना खुद पे हर पल
हर कार्य को छोडूं ना कल पर
आदर्शों की राह मैं चुनता
अनुभवों की बात मैं करता
मात पिता और सखा भी मैं हूं
गलती करो तो सुधारक भी हूं
मैं तो हूं बगिया का मालिक
पुष्पों का रखवाला मैं हूं
देश के भविष्य का मैं निर्माता
और इतिहास को रचना सिखाता
बीड़ा उठाया है मैंने नन्हे पंछियों को
निर्भय होकर उड़ना सिखाने का
गर्व है मुझे स्वयं पर शिक्षक होने का
