पहरेदार मिट्टी का
पहरेदार मिट्टी का
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मां इस बार भी मैं
नहीं आ सकूंगा घर
तू इस बार भी जुुदाई का ग़म
बर्दाश्त कर लेना
हमारी जो हुई थी मुलाकात
उसी मुलाकात को याद कर
फिर से मुझे याद कर लेना
समझना मत ऐसे कि
मैं तुमसे दूर गया हूं
याद आए अगर मेरी तुम्हें
तो हर उस देशवासी के आंखों में देख लेना
इस देश के लिए
यहां मैं पहरेदारी कर रहा हूं
एक मां से सांसें लेकर
दूसरी मां को अर्पित कर रहा हूं
ना लौट सका अगर तेरे पास
तो मेरी यादों को अपने आंचल में समेटकर रख देना!