रचना शीर्षक
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अहम की नज़र मानवता
को छीन लेती है।
कुभावना भी संस्कारों को
बीन देती है।।
अभिमान और स्वाभिमान
में अंतर समझना है जरूरी।
तभी जाकर भीतर की दृष्टि
हीन चेती है।।
अहसासों का बहुत ही
मोल है जीवन में।
बहुतों के एहसानों का
घोल है जीवन में।।
अन्तिम श्वास तक मत
भूलना किसी उपकार को।
विश्वासों का महत्व बहुत
अनमोल है जीवन में।।
