अजेय हो हे महापुरुष तुम
अजेय हो हे महापुरुष तुम


किसी की नजरों में
मेरी पराजय चाहे हो जाये लेकिन
खुद की निगाहों में
हमेशा अजेय ही रहना चाहिए
हारना क्या होता है
कुछ भी तो नहीं
यह महज एक मानसिक स्थिति है लेकिन
मैं एक हारा हुआ इंसान हूं
यह भाव मन में कभी गहरे बिठा
लिया तो
इसमें कोई दो राय नहीं कि
यह घातक सिद्ध होगा
किसी की प्रशंसा
किसी का उत्साह
किसी का समर्थन
आप क्यों चाहते हैं
इसकी आवश्यकता नहीं है
आप खुद में
एक दुनिया हैं
एक व्यक्ति मात्र नहीं
एक संपूर्ण सृष्टि हैं
आप खुद के भाग्य के
रचयिता हैं
विधाता है
दिशा निर्देशक हैं
कहानीकार हैं
दर्शक हैं
श्रोता हैं
प्रशंसक हैं
एक चाहने वाले
मोहब्बत करने वाले
प्रेमी हैं
सब कुछ हैं
सबको खारिज करो
आज से
अभी से
खुद के जीवन की गाथा को
मंजूरी दो
उस पर
किसी के हस्ताक्षर की
उम्मीद क्यों
खुद की मोहर क्यों न हो
स्वयं के निजी दस्तावेजों पर
अपने चांदी के वर्क पर
स्वर्णिम अक्षरों से अपने
अजेय अमर होने की
उस पर कथा लिखो
कोई न भेद पाये
तुम्हारे दृढ़ निश्चय का किला
इतनी अपने हौसले में बुलंदी रखो
अजेय हो हे महापुरुष तुम गर
तुम यह चाहोगे
चाहने से ही तो मिलता इस दुनिया में
सब कुछ
मनोस्थिति हो जाये एक हारे हुए
इंसान की तो
सब कुछ जीतकर भी सब कुछ हार
जाता एक जीता हुआ
कोई योद्धा भी।