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Kavita Bhatt

Inspirational

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Kavita Bhatt

Inspirational

माँ हिन्दी- हृदयांश

माँ हिन्दी- हृदयांश

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मधुर और मंद है प्रेम तुम्हारा

निर्झर जल की धार हो तुम

निश्छल प्रेरित करता राग तुम्हारा

तुम सिर्फ़ कवि की कल्पना नहीं

वरन हो हृदय का राग सुनहरा।


सूरज की किरणों सा ओज

तो कभी गोधूलि की बेला सी तुम

मेघ गर्जन की प्रचंड ध्वनि हो

तो कभी मूर्ति, विनय पथ की तुम।


कितने रूपों में देखूँ तुझको

और समझूँ तुझको

तेरे हर रूप को मैं जीती हूँ

प्रचंड शूल सी जलती हूँ।


विपुल स्नेह से गागर भर भर

नैनों से यूँ छलक आए रे।

आलोक शतदल कहीं है

सकट ले आता तूफ़ानों संग।


तू निर्मल है, तू पावन है

हृदय के उद्गार तुझे सौंप

मैं नव रूप में तर जाऊँ रे

तुमको मेरा कोटि प्रणाम

शब्दों की वीणा पर

तुम छेड़ती नए गान हो।


तुम सिर्फ़ एक कोमल कविता नहीं

पूरी सृष्टि का प्रेम मार्ग हो

संगीत और सुरों में पली बढ़ी

इस धरती का अभिमान हो

हम सबकी ऊर्जा का अरुनस्रोत

तुम माँ हिन्दी हो I


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