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Kavita Bhatt

Others

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Kavita Bhatt

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क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ

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१) धूप की बारिश 

जहाँ होती है

थोड़ी शिकायतें 

और थोड़ी सिफ़ारिशें I


२)पूछने हैं कुछ सवाल 

और बताने हैं कुछ जज़्बात

विस्मृत हो देखूँ या फिर 

करूँ अनगिनत सवाल I


३)फूलों का शृंगार हो 

स्फुटित हो नव आशा 

प्रांगण में बसता महकता 

एक प्यार सा गुलिस्ताँ हो I



४) धरती पर उतरी

बूँदे ये “मुकुलित-अनंत”

मानो हों कोई सुर-कंदर्प नया I 

रचती नयी ऋचाएँ 

महकते प्रकृति के आखर आखर I

देखो कैसे मंद-मंद मुसकाएँ

ये अरूप-माधुरी

“विद्रुम-प्रवाल” I


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