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Kavita Bhatt

Inspirational

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Kavita Bhatt

Inspirational

तृण-कण-पल्लव ज्ञान

तृण-कण-पल्लव ज्ञान

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तृण-कण-पल्लव सा, हम ज्ञान लिए

मुँदी आँखें, सुप्त स्वप्नों के दिये

मौन अधीर रास्तों के स्वर साध लिए

मार्ग प्रशस्त करते वो ज्ञान चक्षु के दीये।


स्वर्णिम इकाइयों का अमिट चित्रण

चिर- उज्ज्वल निर्झर ज्ञान निर्माण

चक्षु-नवीन प्रदत कर बहता जीवन अविरल

शिथिल ज्ञान-हस्त-कदमों को मिलता अचल बल।


शलभ प्रदीप्त करता, हरता मार्ग के

सघन मेघ दम्भ कुपात्र को पात्र समझ,

तरता विकल अज्ञानी का तम

कण-कण में शून्य व्याप्त,

स्फुटित करता ज्ञान का क्रम

अहं-प्रतिबिम्ब तज, तोड़ता हर

अविदित अज्ञात भ्रम।


वो भरता ज्ञान-ऊर्जा अपार,

देता संकेत-ज्ञान-सागर

सघन-धूमिल-ज्ञान सरोवर,

संचित-ज्ञान-मार्ग प्रशस्त कर

देता सशक्त मान।


जड़, शून्यता के केंद्र-बिंदु पर

विस्मित रहते हम।

वो नितदिन करता हृदय-कुंज में

सिंचित ज्ञान अपार है।


कुम्हलाते दम्भ-पथ,तृण-कण-पल्लव,

भ्रांत-पथिक हम।

वो अपरिमित,शुभ्र- ज्ञान-सागर,

कोकिल करता ज्ञान- संगीत है।


कल्पना से अनजान, ज्ञान सरोवर में

विचरण करते अर्ध-ज्ञान हम।

वो व्योम पुलकित सा,

आलोकित करता कर्म-पथ का सशक्त ज्ञान है।

इस जीवन रूपी निर्जन वन के

भ्रमित पथ पर रहते जड़-चिन्ह हैं हम।

सुप्ति में ढूँढते हम विजय पथ महान हैं,

वो चेतन मन का सुरभित वितान है।


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