कर्म ही पूजा है -------------
कर्म ही पूजा है -------------
कर्मों के बंधन में बंध कर,
क्यों करता दुष्कर्म रे,
कर्म ही पूजा है बंदे,
कर ले तू सत्कर्म रे,
निष्काम भाव से कर्म किए जा,
मान कभी ना हार रे,
कर्म ही पूजा कर्म ही ईश्वर,
कर्म ही तीरथ धाम रे,
सकारात्मक सोच लिए,
लगन से किए जा तू काम रे,
फल की तू आस ना रख,
किए जा तू प्रयास रे,
कर्म साधना साध्य बनेगी,
रख मन में विश्वास रे।
