STORYMIRROR

Dineshkumar Singh

Inspirational

3  

Dineshkumar Singh

Inspirational

एक युग

एक युग

1 min
177

माँ, एक युग यूँ ही बीत गया।

लंबा सफर तय किया तुमने,

कड़ी परीक्षा दी तुमने,

पर यह लड़ाई तुमने जीत लिया।

माँ, एक युग यूँ ही बीत गया।


कैसे कैसे वक़्त थे,

राह आसान नहीं था,

हर मोड़ पर, कांटो के 

दरख़्त थे।

पर तुमने उन्हें भी हँसत हँसते

समेट लिया।

माँ, एक युग यूँही बीत गया।


मैं भी काश तुम जैसा बन पाऊँ,

अपने जीवन को भी ऐसा ढाल पाऊं।

जब भी जीवन प्रश्न उठाये जटिल,

तुम्हारी तरफ उसे देकर टक्कर,

मैं भी मुस्कराऊँ।


आज इस पर्व पर मैं, क्या

अर्पित करू माँ,

तुम्हीं आशीर्वाद बरसाओ माँ।

अपने जीवन अनुभव से,

मुझको मार्ग दिखाओ माँ।

छूतें ही तेरे चरणों को,

रोम रोम मेरा पसीज गया।

माँ, एक युग यूँ ही बीत गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational