सिंधु छंद
सिंधु छंद
नहीं जाना कभी भी दूर अब हमदम।
कि तुम्हारे बिना फीका लगे जमजम।।
अभी तो रात का सिहरन बचा होगा।
अभी जज़्बात का महकन बचा होगा।।
चलो हम तुम अभी वादा करें जाना।
मुहब्बत है खुदा ज्यादा जरा माना।।
हिमानी बर्फ का अब मोड़ना होगा।
बिना सोचे अभी ही छोड़ना होगा।।
