"धरती - प्रदूषित, असुरक्षित"
"धरती - प्रदूषित, असुरक्षित"
कैसा है ये इंसान,
पता नहीं क्यों है परेशां?
किस होड़ में लगी है उसकी ज़िन्दगी,
मन में है कैसी हड़बड़ी?
लालच के जाल में हैं फँसा
पैसे का ही तो है नशा।
कही पेड़ है कटे
कही माँ धरती का पेट फटे।
हवा बानी ज़हरीला धुँवा,
कई बीमारियों ने मुझे छुवा।
दिल और दिमाग है प्रदूषित,
कैसे रहे धरती माँ सुरक्षित?