मेरे अंदर भी एक जोकर
मेरे अंदर भी एक जोकर
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आंसू दबा के रखे है,
कहीं छलक न जाए।
दर्द छुपा के रखा है,
कहीं दिख न जाए।
ज़िन्दगी देती है कैसे मोड़,
अनचाहे, अनजाने।
अकेला क्यों दिया मुझे छोड़,
अब मन न माने।
टकराकर चूर न हुए हम,
सपने मेरे नोच कर।
दर्द सीने का न हुआ कम,
खुद अपने आंसू पोंछकर।
बाहर से खुश,
दुखी हूँ अंदर।
लगता है, है मुझमें
कहीं एक जोकर।