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Reena Ughreja

Abstract

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Reena Ughreja

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मेरी सहेली - किताब

मेरी सहेली - किताब

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चाहे मेरे संग कोई न हो,

साथ मेरी सहेली रहेगी।

बातें करने के लिए कोई न हो,

तुम हमेशा रहोगी।


मेरी सहेली मेरी किताब,

कहूँ जिसे में हर बात।

हर कहानी या कविता संग नया खिताब,

इसमें लिखू में हर रात।


जहा भी जाऊ संग तुझे लेजाउ,

रखु में अपने साथ।

तुझे कभी न भूल जाऊ,

देखकर तुझे, सुरु हो मेरी प्रभात।


एक दिन था मन मेरा उदास,

लिखने बैठी उस रात।

छोड़ा एक ऐसा आभास,

लिखदी सारी दिल की बात।


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