नजारा 2020
नजारा 2020
सफर 2020 शूरू ही हुआ था
अनेकों ने वर्षभर की कार्यप्रणाली को सींचा हुआ था
समय का पहिया जैसे रूक ही गया
कहते हैं अच्छा वक्त गुजर जाता है
बुरा वक्त इम्तिहान जरुर लेता है
अनेकों जिंदगियों का अंत जैसे मजाक बन गया है
किसी को खाने को अन्न नहीं मिल रहा है
कोई अपने ही घर जाने को दर-दर भटक रहा है
मासूम बच्चा भी इस मंजर से परिपक्व हो रहा है
अंदाजा नहीं है इस तुफान के थमने का
शायद प्रकोप ही है यह प्रकृति का।
