रक्षा का बंधन
रक्षा का बंधन
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कभी झगड़ना कभी मनाना पल भर में संग मुस्कुराना
मुसीबतों में ढाल बनकर बहन का रक्षा कवच बन जाना
बहन की विदाई पर नम आँखो से अपने आंसुओं को छुपाना
रक्षा बंधन पर बहन के आने का बेसब्री से इंतज़ार करना
गुजरे हुए बचपन की यादों को फिर से ताज़ा करना
आँगन में मिलकर हँसी किलकारी से गूंज जाना
बचपन की शरारतों को याद कर फिर से बच्चे बन जाना
भाई और बहन का बहुत ही खूबसूरत रिश्ता है खुदा ने बनाया।
