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saloni sethiya

Abstract

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saloni sethiya

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तन्हाई

तन्हाई

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आज तन्हा होकर भी उससे प्यार है

पर उसका दिल किसी और के लिए बेकरार है


आज भी मेरे दिल में उसकी याद बरकरार है

बचपन की यादों का जैसे दिल में भंडार है


आज भी उसे देखकर जैसे आंखे झुक जाती है

दिल की धड़कनें बढ़ जाती है मेरा प्यार तो एक तरफा था


और उसका दिल किसी और के लिए बेकरार है

आज भी मेरे दिल में उसकी याद बरकरार है


दिल तो आज भी उसकी और भागा जाता है

पर दिमाग कहता है क्यूँ भागता है उसकी और


जिसने जख्म दिये हजार है

वो तो भूल गया बचपन के प्यार को


उसका दिल किसी और के लिए बेकरार है

आज भी मेरे दिल में उसकी याद बरकरार है।


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