तीन तलाक
तीन तलाक
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निरीह अबलाओं,
पारियक्ताओं, रजंजादाओं
की सुनी कातर,
करुण, हृदयदाही पुकार,
धर्म, वर्ग,सम्प्रदाय,
रूढ़ि, अंधविश्वासों से,
ऊपर उठकर मानवीय
न्याय को दिया अधिकार।
दकियानूसी सोच,
निहित स्वार्थ के जाल का,
लोकतंत्र के मंदिर ने
बंद किया आज अध्याय।