जिस्म से जिस्म टकरा गया
जिस्म से जिस्म टकरा गया
आंख मेरी आज जैसे लगी
खूबसूरत उनका ही ख्याल आ गया
ढूँढती रही थी जिसे जाने कब से
वो खोया हुआ इतने दिनों के बाद आ गया
सब्र करती रही जिंदगी भर यूं ही
आज छूटा हुआ हाथों में हाथ आ गया
उसके जैसा ना है और न होगा कभी
हारकर खुदा का भी जवाब आ गया
हम कदम बन के खोने लगे जो कदम
आंख खुलते ही उनका इज़हार आ गया
दिल धड़कता रहा सांसें थमने लगी
जिस्म से जब जिस्म टकरा गया।

