तेरी ज़िन्दगानी हूं मैं
तेरी ज़िन्दगानी हूं मैं
तुझ में एक फितूर हूं मैं,
इबादत में मशहूर हूं मैं,
आज़मा ले शिद्दत दुआओं की...
दिखा ज़माने को तेरी जुस्तजू हूं मैं,,
तेरी रूहानी छाया हूं मैं,
तुझसे कहाँ जुदा बेगाना हूं मैं,
बनकर हिस्सेदारी साथ की...
दिखा ज़माने को तेरी काया हूं मैं,,
तमाम इशरत कि वज़ह हूं मैं,
तेरे अश्क़ो की गुनाहगार हूं मैं,
बनके माफ़ी तुझमें समाहित होऊं...
दिखा ज़माने को तेरी रज़ा हूं मैं,,
हर जरूरतों में बेकार हूं मैं,
गुम तेरे उन्स में बेकरार हूं मैं,
बनकर कुछ काबिल कामिल की...
दिखा ज़माने को तुझमें बरकरार हूं मैं,,
तेरे शब की निसार चाँदनी हूं मैं,
उस क़मर की भी बेवफ़ा तरणि हूं मैं,
ता-उम्र बिता रहे दिलकश रुख़ की...
दिखा ज़माने को तेरी रानी हूं मैं,,
बे-लफ़्ज़ के हर्फ़ कहीं साज़ हूं मैं,
बेशक़ हद़ से ज़्यादा तेरी हूं मैं,
खौफ़ बेहद वादों बातों की...
दिखा ज़माने को तुझमें अनकही राज़ हूं मैं,,
तेरी आवारगी से एतबार हूं मैं,
तुझमें कुछ अधूरी पूरी हूं मैं,
मुसलसल तलब मंजिल की...
दिखा ज़माने को तुझमें उस्तवार हूं मैं,,
महज़ अब तेरी ज़िन्दगानी हूं मैं,
इर्द गिर्द रहने वाली बन भँवरा हूं मैं,
बनकर सांसों में तेरे नर्म ध्वनी की...
दिखा ज़माने को....जनम जनम
कि तेरी अर्द्धांगिनी हूं मैं!!