सुहाना सावन
सुहाना सावन
सावन की सुहावनी काया
हरे हरे शबनम में समाया
मन्नतें महादेव से हैं दिल गाया
शज़र रुत मन मग़्न असीम माया
बारिशों की झिमझिम अंगड़ाईयां
है इसी दिवस की पुरवाईयां
बहके बहके सुहावने सावन
लहलहाते भिगे से क्यारियाँ
बदरी से हर आँगन महकाया
नाथ के जट्टा से ज़मी भिगाया
अलग सा एहसास फ़ज़ा से
बदलते मौसम सावन आया
डाली डाली झुला सजाया
सखी संग रास बड़े रचाया
है सुहाना दिवस शिव के नाम
थम थम बरसे जो सावन लुभाया।

