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Sirmour Alysha

Abstract

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Sirmour Alysha

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बनारस

बनारस

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एक ख़्वाब बनारस,

मैं रम जाउं इनमें...

एक मुक़म्मल याद बनारस ;


नगरी नगरी इबादत में झुमती,

मैं‌ फिर इन हवाओं में बहती,

माशूक़ से मशहूर ये घाट भी

नदियों में इनकी ज़ज्बात ठहरती,,


एक सुकून बनारस,

एक वज़ूद बनारस,

मैं बन जाउं पाक़ीजा...

महादेव का मुक़ाम बनारस ;


रमणीय नज़ारों मे और जाहान विरानी,

धूप-दीप में अस्सी घाट की कहानी,

बनारसिया रंग में रंगना सब चाहें

दिल के दिवारों पे हर तस्वीर काशी,,


एक कशिश बनारस,

एक नफ़्स बनारस,

बिन इस जिक्र के ना रहूं...

मेरी हर नज़्म बनारस ;


चूस्की भर इल्म की मोहब्बत,

पाक दामन में बसर कयामत,

किधर भटकूं बंजारों की तरह

यहीं जलना यही बुझना ज़ीस्त की चाहत,,


एक सुबह-ए-बनारस,

एक तमन्ना-ए-बनारस,

रग रग का एहसास जिसमें...

एक नूर-ए-शम्अ बनारस ;


गलीयों किस्सो में गज़ब फसाने,

यहां की बात घाट में अलग परवाने,

शाम की हर शम्अ जलती सफा सी

तादाद के भक्तोमें से हम भी दिवाने,,


दरिया साहिल का एक तरन्नुम बनारस,

सफ़र मंज़िल तलक ऐक आशा बनारस,

आशिक़ आबिद में बसा ये बनारस

घाट पनाहगाह में हसीन एक समा बनारस ।


एक ख़्याल बनारस,

एक ख़्वाब बनारस,

मैं रम जाउं इनमें...

एक मुक़म्मल याद बनारस।


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