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गीता गुप्ता 'मन'

Abstract Romance

4.5  

गीता गुप्ता 'मन'

Abstract Romance

हो रहा दिल आज शायर

हो रहा दिल आज शायर

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है नजर करती शरारत, होंठ पर लेकर हँसी

हो रहा दिल आज शायर है भरी दिल में खुशी।


ओ सनम सुनकर सदा तू पास मेरे आ भी जा

दिल तड़पता इश्क़ में है अब नहीं इसको सता।

शाम हो बाहों में तेरी है दिली ये आरजू

तू फरिश्ता है खुद का तू मिरी है जुस्तजू।

हाल दिल का क्या बताऊँ कितनी छायी बेबसी।

हो- - - - - - - - - - - -          


प्यार तुझसे ही किया है बात इतनी जान लो

इश्क में अब ना सताओ बात मेरी

मान लो।

कह रही है ये फिजाये आप का दीदार हो

हाथ में बस हाथ हो और प्यार का इजहार हो।

हर अदा तेरी लगे हैं  यार मुझको दिलनशी।

हो- - - -   - - - - -       


मुस्कुराती हो जहाँ तुम फूल खिलते हैं वहाँ

जुल्फ तेरी जब उड़े तो खिल उठा सारा जहाँ।

प्यार में हमदम तुम्हारे हो गए हैं हम फ़ना

होश गम मेरे हुए जब से हुआ है सामना।

हमसफ़र बन जाओ मेरी दिल में तू ही तू बसी।

हो- - - - - - - -- - - - - - --


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