आये हैं ऋतुराज
आये हैं ऋतुराज
पीली चूनर सज धरा,
स्वागत करती आज
कलरव करते विहग सब,
बजे प्रकृति के साज।
बजे प्रकृति के साज,
पुलक उठते वन उपवन
रंग बिरंगे पुष्प,
हो रहा मधुमित आंगन।
पीत पुष्प है पात,
तितलियाँ धानी नीली
आये हैं ऋतु राज,
ओढ़ कर चूनर पीली।