STORYMIRROR

गीता गुप्ता 'मन'

Abstract

3  

गीता गुप्ता 'मन'

Abstract

किसकी सुने

किसकी सुने

1 min
276

अक्सर

होती है

जद्दोजहद

दिल और दिमाग के बीच

दिल जाना चाहता है


सब छोड़ कर

उसके पास

जिसके लिए धड़कनें

बगावत पर आ खड़ी है


जो बन गया है

जीने का सबब

प्रेम के डोर से जिसने

बाँध लिया है

और दिमाग

दुहाई देता है


समाज की

रिश्तों की

मर्यादा की

सम्बन्धों की

सोचता है हजार बार

क्या होगा परिणाम


दिल की सुनूँ या दिमाग की

मन पड़ जाता है

दुविधा में

खून के रिश्ते भी न टूटे

और दिल के रिश्ते भी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract