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गीता गुप्ता 'मन'

Abstract

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गीता गुप्ता 'मन'

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रोटी

रोटी

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दिन भर कठिन परिश्रम करते,

 तब ही है मिल पाती रोटी

भूख प्रबल जब हो जाती है, 

जीवन रक्षक बन जाती रोटी।


उनसे पूछो कीमत क्या है,

इसके चन्द निवालों की

भूखा कोई सो जाता जब,

 सपने में है आती रोटी।


कीमत रोटी की वो जाने,

 जो भूख प्यास से रोते है,

मिट्टी की खाकर रोटी,

 और पानी पीकर सोते है।


अनवरत परिश्रम जो करते,

 हक उनको हैं दिलाती रोटी।

अन्न देव सम इस जग में है,

 रीत यही है सिखाती रोटी।


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