दिल और आईना
दिल और आईना
आईना वही दिखाता है
जो दिल चाहता है
दिल वही चाहता है
जो मन को भाता है
दोनों ही टूट जाने के लिए बेकरार
आईना और दिल हर बार
करीबी बढ़ते ही टूटने का डर
कौन कैसे कर जाए इन पर असर
चूर चूर होकर
यह संभलते नहीं
कर लो जितनी कोशिश
यह फिर जुड़ते नहीं।