पिता के प्यार से बढ़कर, नहीं दौलत जमाने में
पिता के प्यार से बढ़कर, नहीं दौलत जमाने में
पिता के प्यार से बढ़कर, नहीं दौलत जमाने में
जो' खुद को फूँक देते हैं, हमें रौशन बनाने में ।।
घटा छाये या तूफाँ हो, न उँगली छोड़ते हैं वो
दुखों में भी हमेशा हँस के, सबको जोड़ते हैं वो ।
बने नैया के हैं माझी, जो सागर पार जाने में।।
पिता के प्यार से बढ़कर नहीं दौलत जमाने में....
मेरे बाबुल तुम्हारे साथ, मेरी जिंदगानी है
तुम्हारी ही दुआओं से, बनी दुनिया सुहानी है
हमारे वास्ते खुशियाँ ही, रहती हैं तराने में ,
पिता के प्यार से बढ़कर नहीं दौलत जमाने में....
तर्ज :सुहानी चांदनी रातें हमें सोने नहीं देती ।