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गीतेय जय

Abstract Inspirational

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गीतेय जय

Abstract Inspirational

आक्रोश

आक्रोश

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पर्वतों के आँगन से

निष्कासित

नदिया की धारा

शिखरों से टकराने

फिर चल पड़ेगी

आक्रोश में उठकर...!!


अलंघ्य, अजेय, अडिग,

अचल, विशाल पर्वत

अनभिज्ञ प्रारब्ध से,

समय सरिता में प्रवाहित

कण कण बिखरेगा

जलधि तट पर ...!!


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