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गीतेय जय

Romance

4  

गीतेय जय

Romance

इश्क़

इश्क़

1 min
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वो रौशन चाँद जो अभी तस्वीर में है

ख़ुशनसीब वो जिनकी तकदीर में हैं !


उन्हें देखकर लड़खड़ाते होंगे कदम

होश में नहीं होंगे जो लोग होश में हैं !


पागल दिल को कैसे संभाले कोई

उनका लहराता आँचल हवा में है !


वो मर्ज हैं कि तबीब-ए-मेहरबाँ हैं

न दुआ क़ुबूल हो न असर दवा में है !


उसने बस कहा, "तुम अपने हो"

और यह दिल उसका हो गया !


एक आँसू गिरा था पलकों से

सींचा जो मन, उपवन हो गया !


फिर क्यों बेमौसम बादल गरजे हैं

क्यों वो जुगनू उजाले में खो गया !


रूठे हुए ख़्वाब अब लौट भी आ

ऐ टूटे आईने एक बार फिर मुस्कुरा !


पथरीले जज़्बातों के इस दिल में

दरारों से उभर इश्क़ फिर खिल जा !!



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