दीद-ए-यार
दीद-ए-यार
क्यूँ-कर बे-नफ़स ब-हर-नफ़स
ये धड़कन बेकस-ओ-बेक़रार !
कू-ए-उल्फ़त-ए-अर्ज़-ए-हाल
रँग-ए-तसव्वुर ख़ुशबू-ए-यार !
चाँद ही कहते हैं अहल-ए दहर
मुझे नज़र आया आफ़ताब हर बार !
होना सियाह कायनात में रंग भर दे
न होने से भी रौशन माहताब हर रात !
तरन्नुम-ए-तबस्सुम, नज़्म-ए-चश्म,
बेपर्दा आसमान, दीदार-ए-रुखसार !
महफिल-ए हुस्न, रौनक-ए-जहाँ
बज़्म-ए-आशिकां, हाहाकार हाहाकार !!