फफूँद
फफूँद
इश्क़ कभी
निकम्मा नहीं कर सका
प्रेमिकाओं को...
वे आवारा
उलझी लहराती
प्रेम की घटाओं को
बाँध लेती हैं जूड़े में...
बस एक प्रेम की लट
खुली छोड़ देती हैं
स्वछन्द निर्बाध
प्रेमालाप के लिए...!
एक लड़की बुनती है
जो ख़्वाबों के स्वेटर,
गृहिणी होते ही बंद कर
रख देती है
दिल के संदूक में,
जहाँ पड़े पड़े उनमें
लग जाती है फफूँद !
एक रोज़ निकालकर
जब छोटा उनको पाती है,
धूप लगाकर पहना देती है
अपनी बिटिया को,
एक बार फिर उनमें
उग आते हैं पंख...!!
