डाँट
डाँट
आज फिर डाँट लगा दो न माँ !
कुछ सूझ नहीं रहा क्या करूँ मैं
एक बार फिर आस बंधा दो न माँ !
फिर घेर लिया है आलस ने मुझे
दो थप्पड़ लगा कर आगे बढ़ा दो न माँ !
नींद नहीं आती लोरी गा दो न माँ
सोया ही न रहूँ जल्दी जगा दो न माँ !
अब खूब खाकर पेट भी दिल नहीं भरता
कुछ अच्छा सा बना कर खिला दो न माँ !
बहुत थक गया हूँ काम कर कर के
कोई परियों की कहानी सुना दो न माँ !
न जाने कब से रोया भी नहीं मैं
हँसा के मुझको मुस्कुरा दो न माँ !
कई कड़वे एहसास हो गए छोटी सी जिंदगी में
किस डिब्बे से चीनी चुराऊँ बता दो न माँ !
दिल ओ दिमाग चोट खाए हुए हैं
हल्दी वाला मरहम लगा दो न माँ !
दिल रोता है रूह चीखती है
इन्हें बहला कर चुप करा दो न माँ !
गिरा हूँ, ठोकर खाकर टूट गया हूँ
कोई बड़ी बात नहीं समझा दो न माँ !
अनचाहे मोड़ पर जिंदगी रुक सी गई है
हाथ पकड़कर रस्ता पार करा दो न माँ !
जाने किस बात पर रूठा ही रह गया
एक बार और मना लो न माँ !
कुछ सूझ नहीं रहा क्या करूँ मैं
एक बार फिर आस बंधा दो न माँ !
आज फिर डाँट लगा दो न माँ !
आज फिर डाँट लगा दो न माँ !
