बेरुखी
बेरुखी
इतनी बेरुखी तो न दिखाया करो,
कभी खुशी से गले लगाया करो।
चंद दिनों की की ये जिंदगानी है,
बेरुखी में यूं न बिताया करो।
कितना प्यारा प्यारा सा शमा है,
कुछ तो रुख से पर्दा हटाया करो।
चल खो जाए प्यारे जहां में हम,
कर के बस उल्फत की बातें ।
तेरी बेरुखी को आज मिटा दूदूँ ,
दिल मे मुहब्बत का चिराग जला दूँ ।
यू न दूर दूर जाया करो,
कभी तो गले से लगाया करो।
जरा मुड़ कर देखो इस नाचीज को,
इश्क मेरा भी कुछ गुनगुनाया करो।
अब बेरुखी से पर्दा हटाओ जरा,
इश्क नैनो से बरसाओ जरा।
तन्हा तन्हा यहाँ कोई बैठा है,
जरा इश्क में में मुस्कुराया करो।
थाम कर मेरे हाथों को जरा,
कुछ तो बांहो में सुलाया करो।
इश्क के बदले इश्क की बाते,
जरा तुम भी कभी गुनगुनाया करो।

