फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें,
जब भी देखोगे तुम आईना, हम उस आईने में मिलें,
उल्फत में बिछड़ने का भी अपना ही अलग मजा है,
न जाने कब और कौन सी मंजिल पर आकर हम मिलें,
इश्क़ मोहब्बत में एक ऐसा वक्त भी सामने आता है,
आंसुओं के जाम में शायद खामोशी से फिर हम मिलें,
बिछड़ने पर भी मोहब्बत एक अलग सा रंग दे जाती है,
उन रंगों में ही सही बिछड़कर तुमसे प्रेम के रंगों में मिलें,
दुनिया की महफिलों की रोशनी में तुम्हें ढूंढते ही रहेंगे,
चलो महफिलों में ना सही दिल की धड़कनों में तो मिलेंI