मेरी दसवीं कक्षा - I (सवेरे)
मेरी दसवीं कक्षा - I (सवेरे)
सुबह - सवेरे जब अँधेरे को बहुत हाहाकार थी।
उठ जा उठ जा मेरे पिता की सुनी मैंने पुकार थी। I
बिना मन के उठकर सब काम मैंने पूर्ण किया ।
पर पढ़ते समय मच्छरों ने मुझ ही परेशान किया ॥
हिलते डुलते देख पिता जी ने मुझ पर डांट लगाई ।
11वी फीसिक्स , 12 वी फीसिक्स 11 वी मैथ्स 10 वो कहाँ ।
ये सब तो नाम का था मुझ तो कुछ भी याद न रहा।।
8 बजे पढ़कर उठ के मैंने माता जी को पुकार लगाई ।
8:15 तक पढ़ो, मेरी पापा जो ने वाट लगाई ॥
जैसे तैसे पिट पिटकर विद्यालय के लिए तैयार हुआ ।
अनंत नीलिमा को देखकर उस समय में भी खुश हुआ ॥
