फिर तो चांद की चांदनी भी गई
फिर तो चांद की चांदनी भी गई
कुछ मंजिल की जिंदगी गई
कुछ खुद को जानने में गई
क्या हासिल होगा
कुछ यह चार बाते गई
कुछ दुराचार बने हम
कुछ अच्छे बनने की कोशिश की गई
यही होता आ रहा है
एक अनजानी वो रात गई
कुछ हालचाल पूछे गए
कुछ बीमारी की वज़ह बताई गई
काला धागा काला टीका
अच्छा है मुझे अब यही बात रखी गई
कुछ यारी निभाने में व्यस्त रहे
कुछ की यारी मे यारी गई
दिखावा हो रहा है
उसकी मुझे हर पल reels भेजी गई
कुछ जूठे कुछ सच्चे बनते रहे
कुछ यादो मे आंख भर गई
हसीना थी हसने हंसाने की
मुझे भ्रम हुआ और वो सच कर गई
कुछ मुझे सिखाया गया अनजान रखकर
कुछ मुझे बुलाने में आंखे रखी गई
कुछ तुम नहीं समझते कुछ हम नहीं समझते
इसीलिए यह बाते दोनों की बिगड़ गई
कुछ चेहरे आईने में रखे गए
कुछ खानदान की खानदानी सिखाई गई
दो बादलों के बीच की लडाई
कुछ बिजली बिजली खेली गई
कुछ काले गोरे का भेद हुआ
कुछ अच्छे बुरे की ख्वाईश रखी गई
कुछ दिन की तो बात थी
फिर तो चांद की चांदनी भी गई
बड़े बड़े लोगों की बात थी
छोटे लोगों की बाते अनसुनी की गई
उससे जब से राबता हुआ है हमारा
तब से आंखों की तो रोशनी गई
चार दिन के मोहताज़ थे हम
मोहब्बतें भी थोड़ी कम की गई
एक इंतजार फिर बना इफ्जकार
फिर उसके पिछे शायरी शायरी गई।
