Rajdip dineshbhai
Classics Inspirational
ये रोज-ओ-शब तो गुजर जाने वाले होते है क्या तुम भी गुजर जाने वाले होते हो क्या?मैं तो गुज़ार कर देख रहा हूँ की गुजार ने वाले हादसे गुजर ने के होते है क्या!
घर में रोशनी ...
गुज़र-गुजार
मन के वहम में...
औरत तो औरत थी
खिड़की
मत चाहो
मैं था
बाहर निकल
वर्ना लोग मर ...
हाथ उठ जाता ह...
घर-संसार बचाने को मैं तूफानों से भी भिड़ जाऊं। घर-संसार बचाने को मैं तूफानों से भी भिड़ जाऊं।
आ जायेगी बहारें और हो जाओगे खुशहाल खुशी रूपी धन से तुम सदा रहोगे मालामाल ! आ जायेगी बहारें और हो जाओगे खुशहाल खुशी रूपी धन से तुम सदा रहोगे मालामाल !
अब तो यादें बाकी दिल में जाने कब, मिलना मुमकिन हो। अब तो यादें बाकी दिल में जाने कब, मिलना मुमकिन हो।
जो राज भाषा का ज्ञानी है, उसे कहीं कोई न पूछ मिले। जो राज भाषा का ज्ञानी है, उसे कहीं कोई न पूछ मिले।
शायद यही जिंदगी का फलसफा है जो हमें जिंदगी के मायने है सिखाती ! शायद यही जिंदगी का फलसफा है जो हमें जिंदगी के मायने है सिखाती !
हाथ जोड़ विनम्र निवेदन है मेरा, छोड़ तू मेरी जिंदगी की डोर। हाथ जोड़ विनम्र निवेदन है मेरा, छोड़ तू मेरी जिंदगी की डोर।
बस रहने के लिए थोड़ी सी जगह और दिल से इज्जत और सम्मान देना। बस रहने के लिए थोड़ी सी जगह और दिल से इज्जत और सम्मान देना।
रूठना ना तुम मुझसे भगवन बस इतनी कृपा कर दो। रूठना ना तुम मुझसे भगवन बस इतनी कृपा कर दो।
उन्होंने धर्मों का वर्णन किया मनुष्यों के तथा समस्त वर्णों के। उन्होंने धर्मों का वर्णन किया मनुष्यों के तथा समस्त वर्णों के।
शास्त्रार्थ का अर्थ समझिये महज़ मुझे है ये बात बतानी गुरु के खातिर भेंट चढ़े जो हो बने शास्त्रार्थ का अर्थ समझिये महज़ मुझे है ये बात बतानी गुरु के खातिर भेंट चढ़े ज...
गुरु के उपकारों के बदले बस उनके चरणो में शीश झुकाऊं। गुरु के उपकारों के बदले बस उनके चरणो में शीश झुकाऊं।
आये हैं, वो जिंदगी में ऐसे हमारी जैसे कि कोई फ़रिश्ता है। आये हैं, वो जिंदगी में ऐसे हमारी जैसे कि कोई फ़रिश्ता है।
शायद जन्नत का वो शहर था और वो मशाल नरक की आग थी। शायद जन्नत का वो शहर था और वो मशाल नरक की आग थी।
अब शायद, कुछ बदलेगा बेटी भी कह सकेगी मैं हूं ना। अब शायद, कुछ बदलेगा बेटी भी कह सकेगी मैं हूं ना।
वह पहला प्यार ही है जो हमें बार बार रुलाता है। वह पहला प्यार ही है जो हमें बार बार रुलाता है।
गुरु तो परम पूज्य है, करो नहीं उपहास। पश्चाताप की आग में, जल जाता परिहास।। गुरु तो परम पूज्य है, करो नहीं उपहास। पश्चाताप की आग में, जल जाता परिहास।।
वो कोई और नहीं नारी है स्वाभिमानी सी वो। वो कोई और नहीं नारी है स्वाभिमानी सी वो।
पर आपना होने का एहसास दिलाते हो तब अच्छा लगता है। पर आपना होने का एहसास दिलाते हो तब अच्छा लगता है।
चांदनी बिना जैसे चाँद अधूरा है वैसे नारी बिना हर जीव अधूरा है। चांदनी बिना जैसे चाँद अधूरा है वैसे नारी बिना हर जीव अधूरा है।
बूढे-बरगद, बुजुर्ग तो अनुभव का वरदान है इनके बिन सँयुक्त परिवार में न होगी जान है। बूढे-बरगद, बुजुर्ग तो अनुभव का वरदान है इनके बिन सँयुक्त परिवार में न होगी जा...