मत चाहो
मत चाहो
अपने घर में खुद को इतना भी बंद न रखना
कि सब अंधे हो जाए और तुम भी अंधेरा चाहो
जिस्म की हवस में कभी मत रहना
जिस्म दूसरी बार पहनी नहीं जाती
फिर बाद तुम जिस्म की चादर पहनाना चाहो
मेरी बाते लगे सच्ची तो ही रखना
अगर मैं हूं ही गलत तो कहता ही हूं मत चाहो
