मैं था
मैं था
मैं था, जो अभी हूं नहीं
वो है, जो कभी था नहीं
देखो यह सब मोह माया है
देखो यह एक भ्रम है
तो मैं था भी नहीं मैं हूं भी नहीं
मेरे होने पर सबकुछ है
यह ख्वाब है यह एक भ्रम है
मेरे न होने पर भी सबकुछ
तो यह एक सच है
यह एक माया है
वो था भी नहीं और मैं पाकर खुश हुआ
मैं था भी नहीं वो हँसता क्यूँ नहीं?
नहीं उसमें शायद लोग पागल है
है उसे लोग पाकर भी क्या? पाते ही नहीं