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Swati Nema

Abstract

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Swati Nema

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जीना

जीना

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निखर गए, वो तन्हा रह के, 

मुस्करा रहे वो, जी भर जी के, 


चंद रोज़ की इस कहानी में, 

वो बने हों, बिखर - बिखरकर जैसे, 


अब आसान नहीं है, उन सा जी जाना, 

जो खिल रहें हैं, कांटों को सह के।


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