साथ
साथ
तुम शाम सबेरे सोच लेना,
मैं यादें बनकर आऊंगी,
तुम कभी जरा सा कह देना,
मैं बाते बनकर आऊंगी,
तुम धूप में ज़रा सा रुक जाओ तो,
मैं छाया बनकर आऊंगी,
तुम कभी यदि थक जाओ तो ,
मैं आराम बनकर आऊंगी,
और तुम ज़रा अकेले पड़ जाओगे तो,
मैं साथी बनकर आऊंगी।